चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने कहा कि यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं हुआ तो प्राकृतिक संसाधन तथा सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी जानेवाली सुविधाएं आमजन के लिए नाकाफी साबित होंगी। उन्होंने कहा कि आमजन परिवार कल्याण से जुड़े साधनों के व्यापक प्रसार में सक्रिय सहयोग कर बढ़ती आबादी पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
श्री शर्मा सोमवार को इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में विश्व जनसंख्या दिवस के तहत परिवार कल्याण प्रोत्साहन पुरस्कार 2018-19 के राज्य स्तरीय वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रजनन दर का आंकड़ा वर्तमान में 2.6 प्रतिशत है। यदि सही मायने में हमें तरक्की पानी है तो यह आंकड़ा 2.1 या इससे कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आबादी नियंत्रण में रहेगी तो आमजन को संसाधन भरपूर मात्रा में उपलब्ध होने लगेंगे। उन्होंने परिवार कल्याण के कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और अशिक्षा, गरीबी और अज्ञानता के क्षेत्र में भी कार्य करने पर जोर दिया।
श्री शर्मा ने कहा कि आमजन को बेहतर स्वास्थ्य के लिए राज्य सरकार ने निशुल्क दवा योजना का दायरा बढ़ाकर 608 से 712 कर दिया है। उन्होंने प्रदेश में हुक्काबार और ई-सिगरेट पर भी प्रतिबंध लगाने, मिलावटखोरों के प्रति भी सरकार द्वारा किए गए प्रयासों और बच्चों के दिल में छिद्र होने पर उनका मुफ्त इलाज के लिए एनजीओ से एमओयू करने जैसी कोशिशों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस मौके पर ‘हम दो-हमारा एक‘ संकल्प लेकर जनसंख्या पर नियंत्रण का आव्हान भी किया। उन्होंने अगली पीढ़ी का भविष्य बनाने के लिए इस पीढ़ी को जनसख्ंया नियंत्रण के उपायों को इस्तेमाल करने पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा सचिव और मिशन निदेशक श्री हेमंत गेरा ने जनसंख्या स्थायित्व को प्रगति की धुरी बताया। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या के चलते प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, जिससे प्राकृतिक अंसतुलन बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंजिंग आपदाएं देखने को मिल रही हैं। उन्होंने आमजन को भी परिवार नियोजन में अंतराल रखने के साधनों के इस्तेमाल पर बल दिया।
अतिरिक्त मिशन निदेशक श्री शंकरलाल कुमावत ने एक सर्वे का हवाला देते हुए परिवार नियोजन के साधनों के कम होेते इस्तेमाल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केवल 55 प्रतिशत लोग ही परिवार कल्याण के साधनों को उपयोग में ले रहे हैं। इसे और अधिक बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बढ़ती आबादी कई चिंताओं और दुष्परिणामों को भी जन्म देती है। यदि इसी तरह आबादी बढ़ती रही तो 2050 में दुनिया की आबादी 10 अरब हो जाएगी, जोकि खासा चिंतनीय विषय है।
स्वास्थ्य निदेशक श्री वीके माथुर ने बताया कि पुरस्कार वितरण समारोह में उन जिलों के अधिकारी-कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया है, जिन्होंने 2018-19 में परिवार कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। उन्होंने बताया कि सरकार दूर छोर तक बैठे आमजन तक परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने और उनमें जागरूकता लाने के प्रयास कर रही है। आने वाले समय में इसका असर भी दिखने लगेगा।
इस अवसर पर मंच संचालन और कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में संयुक्त निदेशक (जनसंपर्क) श्री गोविंद पारीक ने बताया। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में विभाग से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी, पुरस्कार विजेता और आमजन उपस्थित थे।
*इन्हें मिला पुरस्कार*
राज्य में सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने वाले जिले में प्रथम पुरस्कार झालावाड़ को मिला। द्वितीय पुरस्कार बारां, तृतीय कोटा, चतुर्थ प्रतापगढ़, पांचवां श्री गंगानगर और छठा बूंदी जिले को दिया गया। इस अवसर पर कोटा कलक्टर श्री मुक्तालाल अग्रवाल और बारां कलक्टर श्री इंद्रजीत सिंह राव ने यह पुरस्कार प्राप्त किया। पीपीआईयूसीडी निवेशन में प्रथम तीन स्थान पर रहने वाले जिले क्रमशः दौसा, श्रीगंगानगर और सीकर रहे। राज्य में सर्वश्रेष्ठ परिणाम देने वाली पंचायत समितियों में प्रथम पुरस्कार प्रधान पं.स.खानपुर, झालावाड़, द्वितीय पुरस्कार प्रधान पं.स. बहरोड़, अलवर और तीसरा पुरस्कार प्रधान पं.स. अरनोद, प्रतापगढ़, चतुर्थ पुरस्कार प्रधान पं.स. केकड़ी, अजमेर, पंचम पुरस्कार प्रधान पं.स. किशनगंज, बारां और छठा पुरस्कार प्रधान पं.स. सांगोद, कोटा को दिया गया।
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