आज सारी दुनिया COVID-19 के बचाव में अपने आपको घर में रख रही है या रखना चाह रही है, प्रशाशन, पुलिस, जनप्रतिनिधि सब मुस्तैद है..अस्पताल तंत्र और चिकित्सक भी अपनी जिम्मेदारी निभाने को प्रतिबद्ध है..सब तरफ अपील आव्हान हो रहे है कि इस अचानक आई महामारी से बचने के लिए अपने आपको सुरक्षित रखिये..वहीं पर एक और वर्ग है जो अपनी जान की बाजी लगाकर जनहित में अपनी सेवाएं देने को तैयार है..वो है आपके पड़ौसी फार्मासिस्ट और उनके स्टाफ..जिन्हें आम भाषा में "मेडिकल वाला" कहा जाता है..
दोस्तों ये Post सिर्फ आप पढ़ कर महसुस कर पाएं कि सच है ये, तो एक बार जरूर धन्यवाद देना अपने पड़ौसी फार्मासिस्ट को जो बरसों से आपकी सेवा में लगा हुआ है..ये Post किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए नहीं है..किसी तंत्र के खिलाफ नहीं है..किसी पे सवाल नहीं है..किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न करना इस पोस्ट का मकसद नही है, और ये किसी के सवाल का जवाब भी नहीं है..ये सिर्फ मन की बात है जो आप तक पहुंचाने का प्रयास मात्र है।
अभी कुछ समय से मास्क और सेनीटाइज़र की आवश्यकता, अनुपलब्धता या ज्यादा मांग की वजह से तकरीबन हर मेडिकल की दुकान पर इन दो चीजों की ही बिक्री सबसे ज्यादा हुई..यहां तक की किराना और अन्य सामान्य दुकानों पर भी मास्क और सेनेटाइजर बिकने लगे ..लेकिन इनके मूल्य और मूल्य नियंत्रण को लेकर कई सवाल खड़े हो गए..और हाशिये में आ गए सिर्फ "मेडिकल वाले" सोशल मीडिया पर बहुत सारी पोस्ट , News , में मेडिकल वालों पर एक सवाल ? का बवाल किया गया कि ये मेडिकल वाले कालाबाजारी कर रहे है?..लोगों की मज़बूरी का गलत फायदा उठा रहे है?..लोगो को लूट रहे है?..जनता को परेशान कर रहे है?..ये चोर वाड़ा कर रहे है? और पता नहीं क्या क्या..कहा गया, लिखा गया मेडिकल वालों के विरुद्ध
दोस्तों मन बहुत व्यथित हुआ..तकरीबन 25 साल से इस व्यवसाय में ईमानदारी से अपना काम करते हुए..आज ये देखने सुनने को मिला तो दर्द को रोक नहीं पाया और सोचा कि आम जनता को फार्मासिस्ट के रोल के बारे में बताया जाना चाहिए..
दोस्तों हम सबके जीवन में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसे कहते है Dr डॉक्टर या चिकित्सक..वो इलाज करते है..वो जान बचाते है..वो दर्द को ठीक करते है..इसलिए उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है..क्योंकि हम में से शायद किसी ने भगवान के दर्शन नहीं किये है..लेकिन यही सच है कि दर्द की घड़ी में डॉक्टर भगवान के रूप में ही होते है...मरीज या दर्दी को मजबूर की श्रेणी में रखा गया है..क्योंकि उसकी जान पर आन पड़ी होती है..जब वो तकलीफ में होते है..और इन दोनों के बीच की सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी होता है "फार्मासिस्ट" जो मजबुर को भगवान की भाषा समझाता है, बताता है और उसका दर्द बांटता है, दूसरी मज़बूत कड़ी होता है "नर्सिंगकर्मी" जो डॉक्टर के आदेशानुसार मरीज को सहयोग करता है..नर्सिंगकर्मी के पास भी सफेद कोट होता है..वो भी अस्पताल में ही मिलता है..वो इंजेक्शन भी लगाता है..मरहम पट्टी भी करता है..इसलिए उसकी भी कुछ हद तक एक पहचान है..लेकिन एक "फार्मासिस्ट" तो अपनी दुकान लेकर बैठा होता है..उसके पास तो सफेद कोट भी नहीं होता है..उसके पास में कोई किराना की तो कोई मोबाइल की तो कोई सिलाई की तो कोई सब्जी की तो कोई मनिहारी की, कोई रेडीमेड की, कोई सैलून की तो कोई अन्य किसी की दुकान लेकर बैठा है..इसलिए इन सब की तरह फार्मासिस्ट भी आम जनता के लिए "मेडिकल की दुकान वाला" बन कर रह गया है..इसलिए कभी कभी शायद वो भी ये भुल जाता है कि मेरा असली वजूद क्या है?
20 और 21 मार्च 2020 के दो दिन शायद हर मेडिकल की दुकान वालों के लिए परीक्षा के दिन रहे..और ये परीक्षा अब और कितने दिन चलेगी ये पता नहीं है..लोगों के घरों तक उनके आग्रह पर दवाईयां पहुंचाई गई है..जहाँ जैसे जितना संभव हो सकता था मास्क और सेनेटाइजर लाये और बेचे गए है या वितरित किये गए है..इसमें से मास्क और सेनेटाइजर के मूल्यों को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगाए गए है..लेकिन सिर्फ दो चीजों के लिए देश के सभी मेडिकल वालों पर चोर बाजारी का अपराधी घोषित कर देना कहाँ तक उचित है..? आज हम हर जगह पैसा देते है और वस्तुएं खरीदते है..आवश्यक भी और अनावश्यक भी..जरूरत के लिए भी और मौज शौक के लिए भी..लेकिन कहीं हम भाव ताव नहीं करते..या शायद कर ही नहीं पाते..एक मात्र मेडिकल का व्यवसाय ऐसा है जहाँ मूल्य निर्धारण सरकार या कंपनी करती है और आपके पड़ौसी फार्मासिस्ट को निर्धारित मार्जिन पर mrp अंकित दवाइयां बेचने का लाइसेंस प्राप्त होता है..उस मार्जिन की कमाई से उसे अपना और अपने सहयोगी का घर चलाना होता है..और ऐसे तकरीबन 30 लाख लोग है जो किसी ना किसी तरीके से इस व्यवसाय से जुड़े हुए है या तो वो Qualified फार्मासिस्ट है या उनके सहयोगी है..लेकिन आज इन सबके सामने एक ही संकट है कि इनकी दुकान पर आने वाला हर ग्राहक सवालियां नजर से पूछता है डिस्काउंट क्या दे रहे हो?? जैसे वो जरुरत नहीं मौज बेच रहा हो..और वो ही ग्राहक सिनेमा हॉल में शायद 100 रुपये की टिकिट सप्ताहांत में 250 की खरीदता है तब तो नहीं कहता है कि ये चोर बाजारी है..ऐसा ही कुछ कोचिंग, स्कूल फीस, मिठाई, फल, सब्जी, राशन, स्टेशनरी, कपड़े और अमूमन हर जगह पर होता है जहाँ डिमांड के अनुरूप रेट तय होती है तब तो कोई नहीं कहता कि ये गलत है..और यहाँ मूल्य और मार्जिन निर्धारण के बाद भी डिस्काउंट की मांग कहाँ तक उचित है??
जरूरत है तो सही तरीके से शिक्षित होने की..जो दवाई हम खरीद रहे है उसकी उपयोगिता , उसके प्रभाव को समझने की, उसकी समकक्ष सस्ती दवाई कोई है तो उसको लेने या ना लेने के फायदे और नुकसान समझने की..और ये काम करता है या कर सकता है आपका पड़ौसी फार्मासिस्ट
आम जनता से मेरा करबद्ध निवेदन है कि अपने जीवन में एक सही फार्मासिस्ट की जरूरत को पहचानिए..उसके रोल को समझिए..उसे अपना दोस्त बनाइये..क्योंकि वो आपके और आपके भगवान(डॉक्टर) के बीच की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है...और आपकी तरह वो भी इंसान है, उसका भी परिवार है..उसका भी जीवन है..उसकी भी उम्मीदें है उसके भी सपने है और सबसे महत्त्वपूर्ण कोरोना का जितना डर आपको है..उससे कहीं ज्यादा उसको भी है..क्योंकि उसे भी संक्रमण का आप ही की तरह खतरा है..लेकिन सरकार ने आपको घर पर और उसे दुकान पर रहने के लिए कहा है..ताकि आपकी जरूरतें पुरी हो सके..आपको तकलीफ ना हो
पिछले दो दिनों में ऐसे कई ग्राहक सामने आए जो सामान्य दिनों में दवाईयां अधिक डिस्काउंट के लालच में online ख़रीदने लगे थे..लेकिन जरूरी दवाइयां हमने उनके घर पहुंचाई है उन्ही के आग्रह पर..
आज जो मेडिकल वालों को चोर कह रहे है उनसे भी मेरा करबद्ध निवेदन है कि कोरोना के गर्म तवे पर हो सकता है सुर्खियों की रोटी आज सिक जाएगी..लेकिन ये सोच के देखिए ये जो सवाल आप आज लगा रहे है..जिंदगी भर रहेगा उनके मानस पटल पर जो आज ईमानदारी से अपना फर्ज निभा रहे है..आपकी दवाइयों की जरूरत पुरी कर रहे है..कल जब सबकुछ सामान्य हो जाएगा तो फिर ना तो आप अपना स्पष्टिकरण देने आओगे, ना ही कोई और पूछने आएगा..लेकिन वो ईमानदार फार्मासिस्ट हर दिन मुखातिब होगा इस सवाल से..सोच के देखिए क्या आसान है 12 से 14 घंटे की सेवा निरंतर देना..अपनी खुशियाँ छोड़ कर जनता की सेवा में लग कर चंद पैसे कमाना..ये है फार्मासिस्ट...जिसे प्रेम से लोग कभी कभी आधा डॉक्टर भी कहते है..
यदि कोई दोषी है..तो सरकार द्वारा निर्धारित तरीको से अपनी शिकायतें दर्ज करने का अधिकार आपके पास उपलब्ध है..सिर्फ सोशल मीडिया पर एक सवाल लगा देने से या किसी post पर comment लिख देने से आपका शायद कुछ भी नहीं बिगड़ेगा लेकिन उस ईमानदार फार्मासिस्ट के दिल पर क्या गुजर रही होगी सोच के देखिये??
न्याय तो ईश्वर करेगा, जो गलत कर रहे है उनका..सच झूठ का फैसला तरीके से होना चाहिए, आप क्यों जज बन बैठे हो..मेडिकल स्टोर पर जाते समय अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिये, यदि आपको रेट गलत लगती है तो आप मत खरीदिये अधिक मूल्य में..सही व्यक्ति से सही मार्गदर्शन के साथ सही दवाइयों का कोर्स लीजिये चिकित्सक के बताएँ हुए निर्देशों को फार्मासिस्ट के माध्यम से समझिए और स्वस्थ्य रहिए, मस्त रहिये..और सही दाम पर बिल से खरीददारी कीजिये..अनावश्यक, प्रतिबंधित, अनुपयोगी वस्तुओं की डिमांड मत कीजिये, एक को लिखे गए कोर्स को दुसरे पर apply मत कीजिये..स्वास्थ्य है तो सबकुछ है..अपने सहयोगी फार्मासिस्ट को support कीजिये धन्यवाद दीजिये और उनकी सेवाएं लीजिये..स्मार्ट फोन रखिये,लेकिन खुद भी स्मार्ट बनिये...बिना जाँच पड़ताल के मात्र आरोप मत लगाइए🙏🙏🙏
एक ईमानदार फार्मासिस्ट ...अपने अस्तित्व की पहचान ढूंढता हुआ🙏🙏
0 Comments